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Friday, August 30, 2013

Ek Raja Ki Kahani

एक राजा था जिसकी प्रजा हम
भारतीयों की तरह सोई हुई थी !

बहुत से लोगों ने कोशिश की 
प्रजा जग जाए .. 
अगर कुछ गलत हो रहा है तो 
उसका विरोध करे
लेकिन प्रजा को कोई फर्क 
नहीं पड़ता था !
राजा ने तेल के दाम बढ़ा दिये 
प्रजा चुप रही
राजा ने अजीबो गरीब टैक्स 
लगाए प्रजा चुप रही
राजा ज़ुल्म करता रहा लेकिन 
प्रजा चुप रही
एक दिन राजा के दिमाग मे एक 
बात आई उसने एक अच्छे-चौड़े
रास्ते को खुदवा के एक पुल 
बनाया ..
जबकि वहां पुल की कतई 
ज़रूरत नहीं थी .. 
प्रजा फिर भी चुप थी किसी ने
नहीं पूछा के भाई यहा तो किसी
पुल की ज़रूरत नहीं है
आप काहे बना रहे है ?
राजा ने अपने सैनिक उस पुल 
पे खड़े करवा दिए और पुल से 
गुजरने वाले हर व्यक्ति से टैक्स 
लिया जाने लगा फिर भी किसी
ने कोई विरोध नहीं किया !
फिर राजा ने अपने सैनिको को 
हुक्म दिया कि जो भी इस पुल 
से गुजरे उसको जूते मारे जाए 
और एक शिकायत पेटी भी पुल 
पर रखवा दी कि किसी को अगर 
कोई शिकायत हो तो शिकायत 
पेटी मे लिख कर डाल दे लेकिन 
प्रजा फिर भी चुप !
राजा रोज़ शिकायत पेटी खोल 
कर देखता की शायद किसी ने 
कोई विरोध किया हो लेकिन 
उसे हमेशा पेटी खाली मिलती !
कुछ दिनो के बाद अचानक एक 
एक चिट्ठी मिली ..
राजा खुश हुआ के चलो कम से 
कम एक आदमी तो जागा ,,,,, 
जब चिट्ठी खोली गयी तो उसमे 
लिखा था -
"हुजूर जूते मारने वालों की 
संख्या बढ़ा दी जाए ... 
हम लोगो को काम पर जाने मे
देरी होती है !

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